नमस्कार दोस्तों, आपका हमारे आर्टिकल में स्वागत हैँ। दोस्तों जैसे की हम सभी जानते हैँ की “लोकसभा चुनाव 2024” के नतीजे आ गए है। जिसके सन्दर्भ में, ग्लोबल ब्रोकरेज UBS ने 2 संभावित स्थितियों का जिक्र किया है, जो नई सरकार के गठन के बाद हो सकती हैं। ये स्थितियां भारतीय बाजार पर गहरा असर डाल सकती हैं। आईए उन स्थितियों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
“लोकसभा चुनाव 2024” के नतीजे आ गए हैं।इस बार के चुनाव परिणाम सिर्फ राजनीतिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। एग्जिट पोल्स के अनुसार, BJP को पूर्ण बहुमत मिलने की संभावना कम है, लेकिन NDA गठबंधन बहुमत हासिल कर सकता है। ऐसे में सरकार बनाने के लिए गठबंधन की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
“ग्लोबल ब्रोकरेज UBS” ने अपने ताजा रिपोर्ट में तीन संभावित स्थितियों का जिक्र किया है, जो नई सरकार के गठन के बाद हो सकती हैं। इन स्थितियों का सीधा असर भारतीय बाजार पर पड़ेगा। UBS ने कहा है कि यदि BJP को अकेले पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है और उसे गठबंधन सरकार बनानी पड़ती है, तो यह बाजार के लिए कई तरह की चुनौतियां और संभावनाएं लेकर आ सकती है।
UBS का मानना है कि गठबंधन सरकार में अस्थिरता और नीति निर्माण में देरी हो सकती है, जिससे निवेशकों का विश्वास कमजोर पड़ सकता है। लेकिन अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पद पर बने रहते हैं, तो रिफॉर्म्स की गति बरकरार रह सकती है, जो बाजार के लिए सकारात्मक संकेत हो सकता है। दूसरी ओर, यदि मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहते हैं या BJP नए गठबंधन के साथ जुड़कर सरकार बनाती है, तो बड़े पॉलिसी बदलाव और अनिश्चितता बाजार पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं।
इस परिप्रेक्ष्य में, UBS ने तीन संभावित स्थितियों की पहचान की है और उनके बाजार पर प्रभाव का विश्लेषण किया है। आइए विस्तार से जानते हैं कि ये तीन स्थितियां कौन-कौन सी हो सकती हैं और उनका बाजार पर क्या असर हो सकता है।
स्थिति 1: PM मोदी के साथ गठबंधन सरकार
UBS का मानना है कि पहली संभावित स्थिति में “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी” अपने पद पर बने रहेंगे, लेकिन उन्हें गठबंधन सरकार के साथ काम करना होगा। इसमें भाजपा को दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार चलानी होगी।
- सरकार में अस्थिरता: गठबंधन सरकार में कई दल शामिल होंगे, जिनकी अपनी-अपनी प्राथमिकताएं और एजेंडास होंगे। इससे नीति निर्माण और कार्यान्वयन में अस्थिरता आ सकती है। छोटे मुद्दों पर भी सहमति बनाना मुश्किल हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी महत्वपूर्ण विधेयक को पारित करना है, तो सरकार को सभी गठबंधन दलों की सहमति लेनी होगी, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है।
- बाजार पर असर: इस स्थिति को UBS ने बाजार के लिए “पॉजिटिव” माना है। हालांकि गठबंधन की वजह से अस्थिरता हो सकती है, लेकिन मोदी के नेतृत्व में रिफॉर्म्स की गति बरकरार रह सकती है। इससे विदेशी निवेशकों का विश्वास बना रह सकता है और बाजार की वैल्यूएशन महंगी बनी रह सकती है।
- रिफॉर्म्स: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, हालांकि गठबंधन सरकार की चुनौतियाँ होंगी, फिर भी बड़े आर्थिक सुधारों की संभावना बनी रह सकती है। मोदी के अनुभव और उनकी लोकप्रियता के चलते, निवेशकों का विश्वास बरकरार रह सकता है। इससे मार्केट की ग्रोथ और स्थिरता पर सकारात्मक असर पड़ सकता है।
स्थिति 2: BJP का अलायन्स वाले INDIA से जुड़ना
- दूसरी स्थिति में BJP अलायन्स वाले INDIA से जुड़कर सरकार बनाएगी। इस स्थिति में बड़े पॉलिसी बदलाव हो सकते हैं।
- नए अलायन्स: नए गठबंधन के साथ भाजपा को अपनी नीतियों में बदलाव करना पड़ सकता है। अलग-अलग विचारधारा वाली पार्टियों के साथ काम करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इससे नीति निर्माण में अस्थिरता आ सकती है।
- बाजार पर असर: UBS का कहना है कि यह स्थिति भी बाजार के लिए “निगेटिव” हो सकती है। अलायन्स वाली सरकार के कारण बड़े पॉलिसी बदलाव होंगे, जिससे मार्केट में अनिश्चितता और अस्थिरता बढ़ सकती है। नए गठबंधन की नीतियों और प्राथमिकताओं के आधार पर, बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ सकता है।
- पॉलिसी सुधार: बड़े पॉलिसी बदलावों के कारण बाजार में अनिश्चितता आ सकती है। नए गठबंधन की प्राथमिकताओं के अनुसार नीतियों में बदलाव हो सकता है, जिससे बाजार की स्थिरता पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, निवेशकों को नए पॉलिसी बदलावों को समझने और उनके प्रभाव का आकलन करने में समय लग सकता है।
बाजार पर कुल असर
UBS का मानना है कि इन तीनों स्थितियों में केवल पहली स्थिति बाजार के लिए सकारात्मक हो सकती है। अन्य दो स्थितियों में बाजार की अनिश्चितता और अस्थिरता बढ़ सकती है। UBS ने भारत पर “Underweight” रुख रखा है, जिसका मतलब है कि वे भारतीय बाजार में निवेश को लेकर सावधानी बरत रहे हैं।
इन संभावित स्थितियों के आधार पर, निवेशकों को सावधानी बरतने की जरूरत है और चुनाव के नतीजों के बाद बाजार की दिशा पर नजर रखनी चाहिए। हर स्थिति का बाजार पर अलग-अलग असर होगा और निवेशकों को अपने निवेश निर्णयों में सतर्कता बरतनी होगी। यह समय निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है और उन्हें बाजार के विकास और सरकार की नीतियों पर गहरी नजर रखनी चाहिए।
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