इजराइल और हिजबुल्लाह दोनों ही देशों के बीच काफी तनाव देखने को मिला। और लगभग 1 साल से इसराइल और हिजबुल्लाह के बीच में जंग चल रही है, जो खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। और ऐसे में 17 सितंबर 2024 यानि की कल हिजबुल्लाह के लड़ाकों पर एक असाधारण और एक सटीक हमला हुआ है। लेबनान और सीरिया में उनके पास मौजूद पेपर डिवाइस अचानक से उनकी जेब से ही फटने लगे इस हमले से करीब 3000 से ज्यादा लोग घायल हो गए और जिसमे से की 9 मौत हो गई जिनमे से 8 बच्चे भी शामिल थे। यह पेजर का विस्फोट इतने बड़े पैमाने पर हुआ कि करीब 5000 डिवाइस फटे, और हिजबुल्लाह को बहुत बड़ा नुकसान चलना पड़ रहा है।
इस विस्फोट से लगभग 5,000 डिवाइस फटने का अनुमान लगाया जा रहा है। जिसके चलते लेबनान और सीरिया में मौजूद हिजबुल्लाह के लगभग 3000 सदस्य और कुछ आम नागरिकों के पास रखे पेजर के डिवाइस अचानक से फटने लगे। इस पेजर विस्फोट ने कितनो को जख्मी कर दिया और न जाने कितनो को मौत के घाट उतार दिया और लगभग 400 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्री फिरास अल-अब्यद ने इस बात की पुष्टि की, की इस हमले में 9 लोगों की मौत हो गई जिसमें एक 8 साल की बच्ची का नाम भी शामिल है। विस्फोट सीरिया की राजधानी दश्मीक तक हुए, जहाँ हिजबुल्लाह के कुछ सदस्य तैनात थे।
कई विशेषज्ञ का यह मानना है कि इस तरह के विस्फोट इतनी सटीकता और व्यापकता पैमाने पर बिना किसी विशेषज्ञ एजेंसी के संभव नहीं है। यह घटना हिजबुल्लाह के लिए अब तक की सबसे बड़ी सुरक्षा में चूक मानी जा रही है, और इजरायल के साथ संघर्षों को और भी बढ़ा सकती है। जानकारो का यह कहना था कि इन पेजर डिवाइसो में इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद पहले से ही विस्फोट लगाई जा रहे थे। इन पेजरो डिवाइस का इस्तेमाल हिजबुल्लाह के लड़ाके सुरक्षा के लिए कर रहे थे। ताकि उनकी गतिविधियों को ट्रैक किया जा सके। हालांकि मोसाद ने मोसद ने पेजरो की सप्लाई चैन में ही विस्फोटक फिट कर दिए थे, जिन्हे समय आने पर रिमोट के जारी उड़ा दिया गया
पेजर का इस्तेमाल करने के पीछे वजह यह थी कि हिजबुल्लाह के लड़के इन उपकरणों को सुरक्षित मानती है। क्योंकि यह डिवाइस सामान्य मोबाइल से नेटवर्क से कनेक्ट नहीं होते और इसके जरिए उनकी लोकेशन ट्रैक करना भी कठिन होता है। इसलिए पेजर उनके लिए अधिक जानलेवा सभी साबित हुए
मोसाद के पहले रिकॉर्ड को देखते हुए इसराइल पर शक करना स्वाभाविक है। मोसद पहले भी कई हिजबुल्लाह और अन्य दुश्मन देश के खिलाफ जटिल ऑपरेशन को अंजाम दे चुका है। 1973 में मोसाद में फिलीस्तीन नेता को बेरुत में मारने के लिए एक ऑपरेशन किया था, जो इजरायल के जटिल गुप्त ऑपरेशन का एक उदाहरण है। हालांकि इजराइल ने अभी तक इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। लेकिन इस हमने की सटीकता और जटिलता को देखते हुए इजरायल की खुफिया एजेंसी पर सवाल उठ रहे हैं। जब इजराइल ने अभी तक इस हमले पर किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं दी है।
यह हमला हिजबुल्लाह के लिए एक बड़ी सुरक्षा चूक मानी जा रही है। जिसके कारण हिजबुल्लाह में तनाव और भी ज्यादा बढ़ रहा है।
Related Posts
PM E-Drive Scheme: पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव योजना क्या है? और क्या फायदा होगा इससे
Kisan Karj Mafi Yojana list 2024 सरकार ने किया इन किसानों का ₹2 लाख तक का कर्ज माफ, लिस्ट मे ऐसे चेक करें अपना नाम
महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल: सीएम शिंदे और शरद पवार की नई रणनीतियाँ
सरकार दे रही है सबको फ्री गैस सिलेंडर और चूल्हा/प्रधानमंत्री उज्जवला गैस योजना, आवेदन शुरू